कई बार अगर हम गीले हाथों से स्विच को छूते हैं तो हमें थोड़ी सी संसराहट महसूस होती है ,ये कम इलेक्ट्रिक शॉक होता है पर कई बार जोर का बिजली का झटका यानि इलेक्ट्रिक shock भी लग सकता है। कई बार इलेक्ट्रिक शॉक लगने पर करंट के शरीर के माध्यम से गुजरने पर हमारे हृदय की गति रुकने का खतरा हो सकता है।
करंट लगने से स्किन जल सकती है और छाले भी पड़ सकते हैं, हालांकि तेज करंट लगने से दिल और दिमाग पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
बिजली का करंट लगने से दिमाग में सकुचन हो सकती है, जिसके कारण व्यक्ति दिमागी तोर से अपंग हो सकता है ,करंट लगे व्यक्ति की मदद करने के लिए भी कुछ सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए जोकि इस प्रकार है –
- किसी व्यक्ति को करंट लगने पर उस्की मदद के लिए आगे जाने से पहले ये सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि आसपास कोई ऐसी चीज तो नहीं है, जिसमें करंट होने की संभावना हो ,इस बात का ध्यान रखें कि पानी या लोहे की चीज आस पास नहीं है क्योंकि इन चीजों में करंट जल्दी से पास होता है।
- जिस व्यक्ति को करंट लगा है उसे करंट लगने वाली चीज से अलग करने की कोशिश करनी चाहिए ,इसके लिए पावर ऑफ कर देना चाहिए या डिवाइस को अलग निकाल देना चाहिए। अगर ऐसा सम्भव नहीं हो पा रहा हो तो एक सुखी लकड़ी के टेबल से या सुखी लकड़ी की छड़ी से व्यक्ति को अलग करने की कोशिश करनी चाहिए ,करंट लगे व्यक्ति सीधे अपने हाथों से ना छूएं, ऐसा करने से आप को भी करंट लग सकता हैं।
- व्यक्ति को सूखे डंडे कि मदद से अलग करने के बाद, उसे सीधे जमीन पर किसी एक करवट के वल लेटा देना चाहिए ,इसके लिए व्यक्ति का एक हाथ सिर के नीचे और दूसरा आगे की तरफ होना चाहिए और उसका एक पैर सीधा और दूसरा मुड़ा हुआ होना चाहिए है, फिर इसके बाद उसके दिल कि धडकन की जांच करनी चाहिए कि वो सांस ले रहा है या नहीं।
- अगर व्यक्ति सांस ले रहा है तो उसे थोड़ी देर ऐसे ही लेता रहने दें और फिर डॉक्टर से चेक करवा लेना चाहिए। अगर उसे कोई चोट लगी हो , तो उसके घाव को पानी से धो लेना चाहिए।
- अगर उस व्यक्ति को ब्लीडिंग हो रही है, तो ब्लड रोकने के लिए उस जगह को एक साफ और सूखे कपड़े से बांध देना चाहिए, ताकि ब्लीडिंग होना रुक जाये।
- अगर व्यक्ति को सांस लेने, खांसने या किसी भी तरह की गतिविधि करने में तकलीफ हो रही है या इसका कोई संकेत नहीं मिल रहा है, तो आप को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन) शुरू करना चाहिए। इस प्राथमिक चिकित्सा से किसी बेहोश व्यक्ति के दिल और फेफड़ो को पुन: होश में लाया जा सकता है। अगर व्यक्ति सांस ले रहा है, तो कभी भी सीपीआर नहीं करना चाहिए।
- करंट लगने वाले व्यक्ति को तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, भले ही व्यक्ति घटना के बाद पूरी तरह से ठीक लग रहा हो,पर फिर भी डॉक्टर से जांच करानी चाहिए ,अगर डॉक्टर कोई टेस्ट करवाने को कहे तो उसे करवा लेना चाहिए जैसेकि ईसीजी, ब्लड टेस्ट, सीटी स्कैन या एमआरआई आदि जिससे हमें अपनी कंडीशन का पता चल जाता है।
- करंट लगने के कारण अगर व्यक्ति की कंडीशन सही नहीं है तो उसे मुंह से सांस देनी चाहिए , इसी के साथ उसके सीने पर भी प्रेशर से दवाब बनाएं रखना चाहिए, इससे उसके दिल की धड़कने चलती रहेंगी। ऐसे में आप पीड़ित व्यक्ति को सीधा लेटाकर उसके पैरों को ऊपर की तरफ उठा लेना चाहिए ।
तो हम कह सकते है अगर किसी व्यक्ति को करंट लगा है तो उसे इस प्रकार first aid देकर उसकी मदद की जा सकती है, इसके अलावा हमें भी कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी स्विच board को गीले हाथों से, without shoes से नहीं छूना चाहिए। करंट लगे व्यक्ति की मदद करने से पहले हमें भी इस बात का dhyan रखना चाहिए कि उसे डायरेक्ट न पकड़ें बल्कि किसी लकड़ी या लकड़ी के stool की मदद से उस व्यक्ति को करंट से छुड़ाने की कोशिश करनी चाहिए।