चाणक्य
हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है। ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो। यह कड़वा सच है।
हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है। ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो। यह कड़वा सच है।
मूर्खों से अपनी तारीफ सुनने से अच्छा है। कि आप किसी बुद्धिमान की डांट सुनें।
“भगवान एक है, लेकिन उसके कई रूप हैं. वो सभी का निर्माणकर्ता है और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है”
“जिसे खुद पर विश्वास नही है वह कभी भगवान पर विश्वास कर ही नही सकता”
अगर हम भगवान से प्यार कर रहे हैं, तो हम दुनिया की अच्छाई से प्यार कर सकते हैं।
दुनिया में किसी भी व्यक्ति को भृम में नहीं रहना चाहिए। बिना गुरु के कोई भी दूसरे किनारे तक नहीं जा सकता है।
भगवान एक है, लेकिन उसके कई रूप हैं। वो सभी का निर्माणकर्ता है और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है।
फूलों की सुगंध केवल हवा की दिशा में फैलती है, लेकिन एक इंसना की अच्छाई चरों दिशाओं में फैलती है।
जो किस्मत पर भरोसा करते हैं वो कायर हैं, जो अपनी किस्मत खुद बनाते हैं वो मज़बूत हैं।