चाणक्य
"फूलों की खुशबू हवा की दिशा में ही फैलती है, लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई चारों तरफ फैलती है।"
"फूलों की खुशबू हवा की दिशा में ही फैलती है, लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई चारों तरफ फैलती है।"
चरन कमल बंदौ हरि राई, जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै आंधर कों सब कछु दरसाई।बहिरो सुनै मूक पुनि बोलै रंक चले सिर छत्र धराई, सूरदास स्वामी करुनामय बार बार बंदौं…
"कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सद्व्यवहार से होती है, हेकड़ी और रुबाब दिखाने से नहीं"
कठिनाईयों से भरी इस दुनिया में जिसे अपने आप पर भरोसा होता है, वही विजेता कहलाता है
"गरीब धन की इच्छा करता है, पशु बोलने योग्य होने की, आदमी स्वर्ग की इच्छा करते हैं और धार्मिक लोग मोक्ष की।"
“अभिमानी व्यक्ति चाहे वह आपका गुरु, पिता व उम्र अथवा ज्ञान में बड़ा भी हो, उसे सही दिशा दिखाना अति आवश्यक होता है।”
"मै एक मज़दूर हूँ। जिस दिन कुछ लिख न लूँ, उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं।"
धन-समृद्धि से युक्त बड़े बड़े राज्यों के राजा-महाराजों की तुलना भी उस चींटी से नहीं की जा सकती है जिसमे में ईश्वर का प्रेम भरा हो।
जब भक्ति हृदय से होती है, तो हमें आँखें नहीं चाहिए, बस एक प्रकार का हृदय पर्याप्त है।
“जिन वृक्षों की जड़ें गहरी होती हैं, उन्हें बार-बार सींचने की जरूरत नहीं होती।”