रविदास जी कहते है की हीरे से बहुमूल्य हरी यानि ईश्वर को छोड़कर अन्य चीजो की आशा करते है उन्हें अवश्य ही नर्क जाना पड़ता है अर्थात प्रभु की भक्ति को छोडकर इधर उधर भटकना व्यर्थ है|
रविदास जी कहते है की हीरे से बहुमूल्य हरी यानि ईश्वर को छोड़कर अन्य चीजो की आशा करते है उन्हें अवश्य ही नर्क जाना पड़ता है अर्थात प्रभु की भक्ति को छोडकर इधर उधर भटकना व्यर्थ है|