माँ का दूध बच्चों के लिए अमृत के समान है, ये नवजात शिशु के लिए रक्षासूत्र की तरह होता है। पुराने जमाने में सही जानकारी के बिना या अंधविश्वास के कारण लोग बच्चे के जन्म के तुरन्त बाद स्तन में जो पहली बार पीले रंग का जो दूधआता है (first milk-colostrum) उसको बच्चे को नहीं पिलाते थे बल्कि उसे निकाल कर फेंक देते थे ये पहला दूध नवजात शिशु के लिए सबसे ज़रूरी होता है।
इस दूध में प्रोटीन और एन्टी बॉडी के गुण से भरपूर मात्रा में होते है जो शिशु के इम्युनिटी लेवल को मजबूत करने में मदद करते है। ये दूध शिशु के डाइजेस्टिव सिस्टेम को बेहतर बनाने में भी मदद करता है।
- माँ का दूध सर्वोत्तम आहार – माँ के दूध में प्रोटीन, कैल्सियम, एन्टीबॉडी, लिपिड, कार्बोहाइड्रेड, मिनरल और बहुत सारे पौष्टिक तत्व होते हैं जो शिशु के शारीरिक और आंतरिक विकास के लिए ज़रूरी होते है। माँ के दूध में पानी की मात्रा इतनी होती है वह शिशु के शरीर में पानी की कमी को पूर्ण करने में पूरी तरह से सक्षम होता है। इसलिए जन्म से लेकर छह महीने तक दूध पिलाना शिशु के लिए बहुत ही जरूरी होता है।
- माँ का दूध बच्चे की इम्युनिटी सिस्टेम या रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुदृढ़ करता है – माँ के दूध में इम्युनोग्लोब्यूलीन (immunoglobulin) का लेवल अधिक होता है जो बच्चे के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी होता है। माँ के दू्ध में लैक्टोफोर्मिन नाम का तत्व होता है जो शिशु के आंतों में रोगाणु के पनपने से रोकते हैं।
- माँ का दूध पाचन शक्ति को बेहतर बनाता है – नवजात शिशु का डाइजेस्टिव सिस्टेम बहुत कमजोर होता है। माँ के दूध के सेवन से उसका digestive सिस्टम सही रहता है इसलिए शिशु को माँ का दूध पिलाना चाहिए। ये शिशु के इम्युनिटी लेवल को मजबूत करने में मदद करता है।
- संक्रमण से शिशु को सुरक्षित रखने में मदद करता है – नवजात शिशु को जन्म से संक्रमण होने का बहुत खतरा होता है जिसके कारण उन्हे दस्त, कुपोषण, न्यूमोनिया आदि होने का बहुत खतरा होता है। इसलिए प्रीमैच्युर बेबी से लेकर नॉर्मल बेबी सभी को माँ का दूध पिलाना बहुत ज़रूरी होता है इससे शरीर किसी भी संक्रमण से खुद को सुरक्षित रखने में सक्षम हो पाता है।
- इन्फेक्शन की संभावना न के बराबर होती है – शिशु को ऊपर का दूध पिलाने पर इंफेक्शन होने का डर सबसे ज्यादा होता है लेकिन स्तनपान कराने पर इसका खतरा शुन्य के समान होता है। इससे शिशु को किसी भी प्रकार के संक्रमण या इंफेक्शन होने का खतरा भी कम होता है। शिशु को six महीने तक पानी नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि पानी से इन्फेक्शन का खतरा अधिक होता है। माँ के दूध से शिशु की पानी की कमी पूरी हो जाती है।
- माँ का दूध मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं – माँ के दूध में ऐसे पोषक तत्व होते है जो उनकी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते है ,ऐसा देखा गया है कि जिन बच्चों ने जन्म से माँ का दूध पिया है उनका दिमाग भी तेज़ होता है।
तो हम कह सकते है कि माँ का दूध नवजात शिशु के लिए अमृत के समान है, जन्म के तुरंत बाद शिशु को माँ का पहला पीले रंग का दूध पिलाना चाहिए, इसके सेवन से बच्चे को बिमारियों से लड़ने में मदद मिलती है और तो और उसे पूरी उम्र भर अपनी जिंदगी में इन्फेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है।