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HIV AIDS

किन लक्षणों से पता लग सकता है की आप HIV AID से पीड़ित हैं या नहीं

HIV ऐसी बीमारी है जिसका सही समय पर इलाज न हो तो व्यक्ति AIDS का मरीज बन सकता है। इस स्थिति के आने तक मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर हो चुकी होती है जिससे उसका बीमारियों से बचाव काफी मुश्किल हो जाता है।

HIV virus शरीर में प्रवेश करने पर उन सेल्स को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है जो body को किसी भी तरह के infection से बचाने के लिए जरूरी होते हैं। इस कारण व्यक्ति बीमारियों के प्रति कमजोर हो जाता है और उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता उसका बचाव नहीं कर पाती।

HIV को अगर शुरुआती स्टेज पर नहीं पहचाना जाए या समय पर उसका इलाज शुरू न हो तो वह अपनी आखिरी स्टेज यानी एड्स में तब्दील हो सकता है। AIDS वह स्थिति है जब Immune System को बहुत अधिक नुकसान पहुंच चुका होता है। इस स्थिति में अगर व्यक्ति को कोई बीमारी हो जाए तो उसकी जान जाने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में बेहतर यही है कि शुरुआती लक्षणों को पहचानकर डॉक्टर से संपर्क किया जाए और टेस्ट Positive आने पर डॉक्टरी सलाह पर इलाज शुरू कर दिया जाए।

लक्षण
HIV के लक्षण आमतौर पर वायरस के शरीर में पहुंचने के एक से दो महीने में नजर आने लगते हैं। हालांकि, ज्यादातर मामलों में इन्हें पहचानना मुश्किल होता है क्योंकि ये लक्षण आम वायरल fever या cough – cold से काफी मिलते-जुलते हैं। अगर आपको लगता है कि असुरक्षित सेक्स या किसी HIV positive व्यक्ति के शरीर के खून, सीमन आदि से आप संपर्क में आए हैं तो इन लक्षणों को हल्के में न लें।

* बुखार आना
* अचानक सिरहन होना या ठंड लगना
* लिम्फ नोड में सूजन
* शरीर में दर्द या टीस उठना
* स्किन रैश
* सिरदर्द बने रहना
* गला खराब होना

* उल्टी जैसा होना या बेचैनी बने रहना
* पेट खराब रहना
* बहुत ज्यादा थकान महसूस होना
* रात में सोते समय ज्यादा पसीना आना
* वजन कम होना
* निमोनिया होना
* बार-बार वजाइना या पीनस में इंफेक्शन होना

इलाज
HIV होने पर इसे ठीक नहीं किया जा सकता। हालांकि दवाइयों की मदद से इस वायरस को दबाया जा सकता है जो व्यक्ति को नॉर्मल जिंदगी जीने में मदद करता है। दवाई का डोज क्या होगा और कितने दिन कौन सी दवाई चलेगी इसका फैसला डॉक्टर ही करता है। बेस्ट यही है कि डॉक्टर की सलाह को गंभीरता से लेते हुए फॉलो किया जाए, जरा सी लापरवाही पीड़ित को मुश्किल में डाल सकती है। दवाई में कोताही या इलाज में लापरवाही व्यक्ति को एड्स का मरीज बना सकती है, जिसके बाद मरीज का survical rate काफी कम हो जाता है।

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