सूरदास
चरन कमल बंदौ हरि राई, जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै आंधर कों सब कछु दरसाई। बहिरो सुनै मूक पुनि बोलै रंक चले सिर छत्र धराई, सूरदास स्वामी करुनामय बार बार बंदौं तेहि पाई।

सूरदास

चरन कमल बंदौ हरि राई, जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै आंधर कों सब कछु दरसाई।बहिरो सुनै मूक पुनि बोलै रंक चले सिर छत्र धराई, सूरदास स्वामी करुनामय बार बार बंदौं…

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सूरदास
जब भक्ति हृदय से होती है, तो हमें आँखें नहीं चाहिए, बस एक प्रकार का हृदय पर्याप्त है।

सूरदास

जब भक्ति हृदय से होती है, तो हमें आँखें नहीं चाहिए, बस एक प्रकार का हृदय पर्याप्त है।

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सूरदास
“चरन कमल बंदौ हरि राई, जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै आंधर कों सब कछु दरसाई। बहिरो सुनै मूक पुनि बोलै रंक चले सिर छत्र धराई, सूरदास स्वामी करुनामय बार बार बंदौं तेहि पाई।“

सूरदास

“चरन कमल बंदौ हरि राई, जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै आंधर कों सब कछु दरसाई। बहिरो सुनै मूक पुनि बोलै रंक चले सिर छत्र धराई, सूरदास स्वामी करुनामय बार बार…

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सूरदास
“ गुरू बिनु ऐसी कौन करै। माला-तिलक मनोहर बाना, लै सिर छत्र धरै। भवसागर तै बूडत राखै, दीपक हाथ धरै। सूर स्याम गुरू ऐसौ समरथ, छिन मैं ले उधरे।

सूरदास

“गुरू बिनु ऐसी कौन करै। माला-तिलक मनोहर बाना, लै सिर छत्र धरै। भवसागर तै बूडत राखै, दीपक हाथ धरै। सूर स्याम गुरू ऐसौ समरथ, छिन मैं ले उधरे।"

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सूरदास
अगर हम भगवान से प्यार कर रहे हैं, तो हम दुनिया की अच्छाई से प्यार कर सकते हैं

सूरदास

अगर हम भगवान से प्यार कर रहे हैं, तो हम दुनिया की अच्छाई से प्यार कर सकते हैं।

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सूरदासजी

“मुखहिं बजावत बेनु धनि यह बृन्दावन की रेनु | नंदकिसोर चरावत गैयां मुखहिं बजावत बेनु || मनमोहन को ध्यान धरै जिय अति सुख पावत चैन | चलत कहां मन बस…

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सूरदासजी

“बुझत स्याम कौन तू गोरी | कहां रहति काकी है बेटी देखी नहीं कहूं ब्रज खोरी || काहे कों हम ब्रजतन आवतिं खेलति रहहिं आपनी पौरी | सुनत रहति स्त्रवननि…

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सूरदास

“जसोदा हरि पालनै झुलावै | हलरावै दुलरावै मल्हावै जोई सोई कछु गावै || मेरे लाल को आउ निंदरिया काहें न आनि सुवावै | तू काहै नहिं बेगहिं आवै तोकौं कान्ह…

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